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दोस्तियाँ

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दोस्ती होने के लिए न जाने क्या है जिसका होना ज़रूरी है. आज तक जान नहीं पाया. जो दोस्त बने वे बस बन गए. जो नहीं बने वे फिर कभी नहीं बने. उसके लिए किसी वजह की ज़रूरत नहीं थी. 1. एक वक़्त सोचा करते थे कि हम जीवन में आगे भले ही बढ़ें पर साथ बने रहेंगे. इसी तरह मिलते रहेंगे. बातें करते रहेंगे. एक चाय ख़त्म हो जाने पर दूसरी मंगाते रहेंगे. एक दिन आएगा जब बीते दिनों को याद करेंगे. चश्मे उतारेंगे, पोंछेंगे, दोबारा लगाएंगे, बीते किस्से दोहराएंगे और ठहाके लगाएंगे. मेरी कल्पना में तो ये सब इतना साफ़ है कि सबके कपड़ों के रंग तक पहचान रहा हूँ. 2. अतीत में भविष्य शनील के कपड़े सा मुलायम लगा करता था. उसकी दूसरी तह को हम कभी छू नहीं पाए थे. हम किन्हीं गुलाबी सपनों में डूबते उतराते रहते थे. सब बहुत हल्का लगता था. सब चिंतामुक्त. अगर कोई चिंता थी तो उसका निवारण भी था. निवारण अपने पास नहीं था तो दोस्त थे. अपनी कुछ चिंताएँ उनके सर भी डाली जा सकती थी. वह वक़्त बहुत जल्दी गुज़र गया. हमारी उम्र बढती गई. चिंताएँ भी. जो नहीं बढ़े वे थे दोस्त. 3. एक वक़्त मुझे ऐसा महसूस होता था कि मेरे इतने दोस्त है, अगर रोज़ एक दोस्त ...