यूपीएससी और आँसू

वे दोनों तब एक दूसरे को जानते भी नही थे जब उन्हें समझा दिया गया था कि तुम्हे ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी करना है। कॉलेज में दाखिले के बाद दोनों कब नज़दीक आ गए पता भी नही चला। दो साल किसी हिट फ़िल्म के शो की तरह निकल गए। तीसरे साल में दोनों को मुखर्जी नगर के कोचिंग सेंटरों के नाम याद आने लगे। नार्थ कैंपस उनका दूसरा घर था। ऋषि ने घर कह दिया था की अब तभी आऊंगा जब प्री क्लियर हो जाएगा। स्नेहा का मन धीरे-धीरे यूपीएससी से हटकर ऋषि पर केंद्रित होने लगा। लास्ट सेमेस्टर चुपके से आ गया। ऋषि को अब अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना था। एक दिन उसने कह दिया "स्नेहा मुझे अब पढ़ाई पर फोकस करना है, अब हम और साथ नही रह पाएंगे।"
                            
दो साल हो गए अब भी ऋषि का प्री क्लियर नही हुआ। आज अचानक स्नेहा ज़ार-ज़ार रोने लगी। उसे लगा की ज़िन्दगी ने उसे धोख़ा दिया है। उसका मन अब पढ़ाई में नही लगता। ऋषि का जूनून अब सर चढ़ने लगा है। चश्मा भी चढ़ गया। अब वो आर्ट्स फैकल्टी भी नही आते। दोनों ने साथ में कोचिंग सेंटर में दाखिला लिया था.. पर ऋषि ने अपना कोचिंग चेंज कर लिया। उनका प्यार भी यूपीएससी की भेंट चढ़ गया, तुम सभी की तरह।

देवेश, 10 नवम्बर 2016

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