मैं आपका अपना हूँ

आइये, इस कुर्सी पर बैठ जाइये। आराम से। हाँ। अब अपनी आँखे बंद कर लीजिये। आपको बस मेरी आवाज़ सुनाई दे रही है। मैं जो कहूँ उसे ध्यान से सुनिए। आप अपना शरीर ढीला छोड़ दीजिये। अब आपको नींद आ रही है, धीरे-धीरे। अब आप गहरी नींद में हैं। आप बस मेरी आवाज़ सुन रहे हैं। मैं जो कहूँ उस पर आप विश्वास करेंगे। उसपर कोई प्रश्न नही करेंगे। मैं जो कहूँ उसका कोई सुबूत नही मांगेंगे। मैं जो कहूँ वही सच है। मैं तुम्हारा अपना हूँ। मैंने अब तक तुम्हारे भले के लिए काम किया है और आगे भी करूँगा। जब उस वर्ष मुझ पर इल्ज़ाम लगा था, वो झूठा था। उसके बाद जितने भी इल्ज़ाम लगे वे भी मेरे विरोधियों की ईर्ष्या का ही नतीजा थे। मैंने सिर्फ और सिर्फ जनता की भलाई के लिए ही काम किया है। न मैंने कोई मुद्दे क्रिएट किये ना उन्हें दबाने के लिए कुछ नए मुद्दे बनवाए। मेरी पार्टी के सभी लोग भी बड़े राष्ट्रवादी है। लेकिन मेरे विरोधी... उनके बारे में आप ना ही सोचें तो बेहतर है। पर आपको उनमें से नही होना है। हमें राष्ट्रवादी होना है, हमें स्मार्ट होना है जो हम अब तक नही थे। अब हमें वही 1757 वाला बाज़ार होना है.. अरे नही नही, ये गलती से कह दिया। माफ़ करना। अब हमें विश्र्वगुरुं बनने की प्रक्रिया में बाज़ार होना है हम इससे ही विकास कर सकते हैं इसके अलावा कोई चारा नहीं । आप बस मेरी बात सुनिए। हम आपके लिए ही तो संघठित राष्ट्र का निर्माण कर रहे हैं। एक बात जो मैं आपको समझा देना चाहता हूँ वो ये है की हमारे विरोघी हमारे काम की रफ़्तार को देखकर तिलमिला रहे है। वो ना जाने क्या-क्या नारे लगा रहे हैं। पर हमें विचलित नही होना है। हमें अब एकता का परिचय देना है। मैं आपसे संवाद की हर कोशिश में रहता हूँ। ताकि हम जुड़े रहें। आप मुझे जानें और मैं आपको। हम आज जहाँ खड़े हैं, विकसित होने के लिए अभी काफी चलना है। आपको मेरा साथ देना होगा। हम अपना विकास खुद करेंगे। वो पिछले वाले पांच सालों में भी कुछ नही कर पाए बल्कि उन्होंने कितना नुकसान किया। उन्होंने हमारे रिश्ते भी ख़राब किये, अब हम उन रिश्तों को सींच रहे हैं। इसलिए आपसे अनुरोध है की आप हमारा साथ दें और देश के विकास में अपनी भूमिका निश्चित करें। मैं आपकी सहायता करने ही आया हूँ, मैं आपमें से एक हूँ, मैं आपका अपना हूँ। 

(देवेश 15/4/16)

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