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जिस रात नींद नहीं आई

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रात नींद नहीं आई। जब नींद नहीं आती तो स्मृतियाँ आती हैं , लो ग आते हैं , असफलताओं के चेहरे बादलों में दिखने लगते हैं। मैं उस वक़्त बादलों को देख पाता तो उनमें अपने हासिल को देखने की कोशिश करता। उन्हें देखकर शायद नींद आ जाती। पर बादल हैं नहीं और उनके दिख जाने लायक आसमान भी नहीं बचा है अब। पहले लगता था कि दुनिया जैसी है एकदम वैसे ही रहेगी। कुछ भी नहीं बदलेगा। हमारे बूढ़े हो जाने तक गैंदो अम्मा अपना बटुआ खोलकर हमें दो का सिक्का देती रहेंगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसा होता नहीं है। दुनिया बदलती है , बहुत जल्दी बदलती है। हमारी दुनिया भी कितनी बदल गई है। कभी सोच सकता था कि ज़िंदगी में एक ऐसा साल भी आएगा जिसका कोई हिसाब-किताब रख नहीं पाउँगा ? अगर काग़ज़ न होते तो इस दुनिया का क्या होता ? काग़ज़ों के होने पर दुनिया अधिक बर्बाद हुई है। काग़ज़ न होते तो वो सभी पेड़ शायद अभी हमारे सामने होते जो इस वक़्त काग़ज़ बनकर सरकारी दफ्तरों में धूल फांक रहे हैं। तब एक-एक काग़ज़ जुटाने के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ता। तब इंसान काग़ज़ों में बदलते नहीं। हालाँकि इंसान बने रहते इसका भी कोई दावा नहीं किया जा सकता। जितनी किताबें दुनिय...

अपनी किताबें

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शुरू से ये किताबें रसोई में ही रखी थीं। सारी पत्रिकाएं भी। हर बार जब भी कोई किताब निकलता उसपर तेल की परत और गहरी हो गई होती। अंदर के कागज़ भी पीले पड़ने लगे। मैंने पापा से किताबों की अलमारी के लिए कह दिया। हमारे कमरे में एक अलमारी कपड़ों की भी है। पर वो लोहे की है। ज़मीन से पाँच फुट छः इंच ऊंची। दूसरी अलमारी की कोई जगह कमरे में बची नही। पापा ने किसी जानकार बढ़ई से कहकर तीन खानों वाला, बराबर लंबाई चौड़ाई वाला एक कामचलाऊ शेल्फ बनवा दिया।  एक दिन दो लोग अचानक आ धमके। दीवार से कपड़ों वाला हैंगर बड़ी बेरहमी से उखाड़ दिया। मैंने जबसे होश संभाला तब से वो हैंगर वहीं, वैसे ही देख रहा था। हर बार सफ़ेदी के बाद उसके किनारों पर एक और परत जम जाती। आज उखाड़े जाने के बाद इस कमरे में हुई पहली सफ़ेदी की चमक उतने हिस्से में दिख रही थी जितने हिस्से को हैंगर ने घेर रखा था। हैंगर बूढ़ा और अपराजित सा नई शेल्फ के पास पड़ा था। उन दोनों लोगों ने नया शेल्फ उठाया। पुरानी अलमारी के बाईं तरफ दीवार से सटाया और धड़ाधड़ कीलें ठोकने लगे। मुझे बड़ी बेचैनी हो रही थी। ठका-ठक की आवाज़ से सर चकरा गया। ख़ैर किसी तरह शेल्फ संभाल ले...