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ज़िन्दगी में

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तस्वीरों को हम जितना देख कर समझ पाते हैं उतना महसूस नही करते। हम बस देखते हैं उतना जितना दिख रहा होता है। तस्वीरों के पीछे की कहानी हमें कभी पता नही चलती। अगर कोई हमें बता दे की उस दिन फलाने की शादी में चच्चा आखिरी बार तस्वीर में कैद हुए थे, जब रमेश ने चाची के साथ उनकी फ़ोटो खेंचने को कहा तो चाची शरमा गईं थी। चच्चा को भी नही पता था की इसी तस्वीर को कभी उनका पोता दिवाली की सफाई करते-करते कूड़ेदान में सरका देगा। उस शादी में ना जाने कितनी तस्वीरें निकाली गई होंगी। आज उन तस्वीरों में दिखने वाले आधे लोग गुज़र चुके हैं। वीडियो में नाचती लड़कियाँ अब तीन-तीन बच्चों की माँ बन चुकी हैं। उनके घुटने अब दुखने लगे हैं।  ज़िन्दगी एक तस्वीर की तरह नही होती, एल्बम की तरह होती है। लेकिन ज़िन्दगी को होना चाहिए शादी वाले घर की तरह, जहां हँसी-मज़ाक, मनमुटाव, लड़ाई-झगड़ा, शोर-शराबा सब होता है। इन सभी की आवाज़ तस्वीरों में होती है बस सुनने के लिए कान चाहिए होते हैं। मैं ये दावा नही करता कि वो कान मेरे पास हैं। पर होने चाहिए। वो कान उगाने पड़ेंगे। समय पर उग भी जाएंगे। तुम जानो तुम्हारे पास वो कान और आँखें है...

बुज़ुर्गों के साथ अतीत का सफर

शाम को जब सूरज ढल चुका था, तब पता नही क्या पर कुछ महसूस हो रहा था। तब किसी की याद भी नही आ रही थी। ना ही कोई असंतुष्टि ही थी। मैं बस अपने अंदर चुप हो रहा था। अंदर चुप होने का मतलब बाहर बोलना क़तई नही है। जब मैं अंदर से चुप होता हूँ तो मेरी आँखों की गति तेज़ हो जाती है। तब मैं तीन हो जाता हूँ एक जो बहार चुप है, दूजा जो भीतर चुप है और तीजा जो दिखने वाली वस्तुओं का सम्बन्ध आपस में जोड़कर नए-नए प्रयोग करने में लग जाता है। और ये सारी जोड़-तोड़ अंत में इस नतीजे पर पहुँचती है कि मैं उदास हूँ। अब भई उदास क्यों हूँ ? खोजते-खोजते भी इस खोज का अंतिम छोर नही मिल पा रहा है। हाँ एक कारण हो सकता है कि मैं बहुत थका हुआ हूँ। इस थकावट का कारण संभवतः कोई सफ़र रहा होगा। शायद बुज़ुर्गों के साथ पिछले दशकों में दौड़ आया होऊँ। पर बुज़ुर्ग कैसे दौड़ेंगे वे तो बुज़ुर्ग हैं? पर तब वो भी जवान हुआ करते थे। तब अगर मेट्रो होती तो वे कभी एक्सेलरेटर पर कदम तक नही रखते। तब उनके पिताजी दवाइयाँ ना ख़रीद पाने के कारण मरते नही। तब वो आसमान में उन्मुक्त भाव से उड़ जाते। पर तब इतना पैसा नही था।  पर इसका ये मतलब नही की उनके पास ...