यहाँ आने का मतलब

यहाँ पर लिखना मेरे लिए अलग अनुभव होगा। अपने डायरी के दायरे को तोड़कर उससे बहार निकलने की बेचैनी ही मुझे यहाँ ले आई है। मुझे वो सीख याद है "यहाँ पर लिखना आसान है पर मुश्किल है लगातार लिखना"। पता नही कितना लिख पाउँगा, पर लगातार लिखने की कोशिश हमेशा रहेगी। जो महसूस करता हूँ उसे उसी तरह लिखने की कोशिश रहेगी। अगर मैं ये कहूँ की उनके लेखन का प्रभाव मेरे लेखन पर नही होगा तो ये गलत होगा, पर फिर भी मैं उनकी परछाई से निकलने की पूरी कोशिश करूँगा। यहाँ लिखना खुद को तलाशने जैसा भी है अपने घेरे से निकलकर एक अलग दृष्टि से खुद को देखने जैसा। यहाँ लिखने वाला मैं, महसूस करने वाले मैं से कितना भिन्न होगा ये भी देखने वाली बात होगी।यहाँ रहकर मैं कैसे ढालूँगा, खुद से कितना सीखूंगा इस प्रश्न का उत्तर ही मेरा फल होगा और पता नही वो क्या होगा। इससे ज़्यादा कुछ सोचना अभी ज़रूरी नही। 

देवेश, 12 जनवरी 2016

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